आरएसएस राष्ट्रवादी या जातिवादी?
महाराष्ट्र के कुछ पुरातनपंथी ब्राह्मणों द्वारा स्थापित करके विक्सित किया गया संघ(आरएसएस) राष्ट्रवादी है या जातिवादी ? इसका परिक्षण २००४ के राष्ट्रिय स्तर के संघ के पदाधिकारियो के नीचे वर्णित विवरण में दिए गए नामो में से देश के भिन्न-भिन्न सामाजिक समूहों का कितना प्रतिनिधित्व है, उनका विश्लेषण करने से हो सकता है.
क्रम पद नाम वर्ण
१. सरसंघचालक के.एस.सुदर्शन ब्राह्मण
२. सरकार्यवाह मोहनराव भागवत ब्राह्मण
३ सह सरकार्यवाह मदनदास. ब्राह्मण
४. सह सरकार्यवाह सुरेश जोशी ब्राह्मण
५. सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी वैश्य
६. शारिरीक प्रमुख उमाराव पारडीकर ब्राह्मण
७. सह शारीरिक प्रमुख के.सी.कन्नान वैश्य
८. बौध्धिक प्रमुख रंगा हरि ब्राह्मण
९. सह बौध्धिक प्रमुख मधुभाई कुलकर्णी ब्राह्मण
१०. सह बौध्धिक प्रमुख दत्तात्रेय होलबोले ब्राह्मण
११. प्रचार प्रमुख श्रीकान्त जोशी ब्राह्मण
१२. सह प्रचार प्रमुख अधिश कुमार ब्राह्मण
१३. प्रचारक प्रमुख एस,वी. शेषाद्री ब्राह्मण
१४. सह प्रचारक प्रमुख श्रीकृष्ण मोतिलाग ब्राह्मण
१५. सह प्रचारक प्रमुख सुरेशराव केतकर ब्राह्मण
१६. प्रवक्ता राम माधव ब्राह्मण
१७. सेवा प्रमुख प्रेमचंद गोयेल वैश्य
१८. सह सेवा प्रमुख सीताराम केदलिया वैश्य
१९. सह सेवा प्रमुख सुरेन्द्रसिंह चौहाण वैश्य
२०. सह सेवा प्रमुख ओमप्रकाश ब्राह्मण
२१. व्यवस्था प्रमुख साकलचंद बागरेचा वैश्य
२२. सह व्यवस्था प्रमुख बालकृष्ण त्रिपाठी ब्राह्मण
२३. संपर्क प्रमुख हस्तीमल वैश्य
२४. सह संपर्क प्रमुख इन्द्रेश कुमार ब्राह्मण
२५. सभ्य राघवेन्द्र कुलकर्णी ब्राह्मण
२६. सभ्य एम.जी. वैद्य ब्राह्मण
२७. सभ्य अशोक कुकडे शुद्र
२८. सभ्य सदानंद सप्रे ब्राह्मण
२९. सभ्य कालिदास बासु ब्राह्मण
३०. विशेष आमंत्रित सूर्य नारायण राव ब्राह्मण
३१. विशेष आमंत्रित श्रीपति शास्त्री ब्राह्मण
३२. विशेष आमंत्रित वसंत बापट ब्राह्मण
३३. विशेष आमंत्रित बजरंगलाल गुप्ता वैश्य
(स्त्रोत-आरएसएस डॉटकॉम इंटरनेट पर आधारित-२००४)
अखिल भारतीय स्तर पर सर संघचालक के.एस.सुदर्शन सहित २४ ब्राह्मण यानी ७२.७३%, ७ वैश्य यानी २१.२१%, १ क्षत्रिय यानी ३.०३% और १ शुद्र यानी ३.०३% प्रतिनिधित्व देखने को मिलता है. ब्राह्मण और वैश्य जैसी उच्चवर्ग जातियो का ९३.०४% प्रतिनिधित्व है.
५% विक्सित शुद्र और ४५% पिछड़े शुद्र(ओबीसी) तथा २४% एससी-एसटी जातियों को मिला कर ७५% आबादी का १ यानी सिर्फ ३.०३% ही प्रतिनिधित्व है.एससी-एसटी जातियों का कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है.ऊपर का ये चित्र ब्राह्मण जातिवाद का नंगा चित्र है.
संघ के जातिवादी ब्राह्मण नेताओ ने भारत को ११ क्षेत्रोंमें बांट कर अपना जाति संगठन आरएसएस के नाम से जमाया है. इन क्षेत्रो का संचालन करने वालो का सामाजिक चित्र नीचे दिया गया है.
११ क्षेत्रोके ३४ पदाधिकारियों में सामाजिक प्रतिनिधित्व
सामाजिकवर्ग आबादी पदाधिकारी हिस्सेदारी
१. ब्राह्मण ३.००% २४ ७०.५९%
२. क्षत्रिय-भूमिहार ५.९०% ०१ ०२.९४%
३. वैश्य १.७०% ०७ २०.५५%
४. शुद्र ५१.७०% ०२ ०५.८८%
५. अतिशुद्र २४.००% ०० ००.००%
(स्त्रोत-आरएसएस डॉटकॉम २००४-इंटरनेट पर आधारित)
केवल अखिल भारतीय संघ ही नहीं परन्तु ११ क्षेत्रोंमें बंटा हुए आरएसएस का क्षेत्रीय नेतृत्व भी ब्राह्मण नेताओ के नियंत्रण में है.११ क्षेत्रोके ३४ पदाधिकरियोमे ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व ७०.५९% है, जबकि वैश्य २०.५९% है.
निम्न वर्गोमे शुद्र-अतिशुद्रो की ७५% आबादी का पदाधिकरियोमे प्रतिनिधित्व सिर्फ ५.८८% ही है. अतिशुद्र मानी गई एससी-एसटी जातियों की २४% जनसंख्या का तो कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है. ऊपर का चित्र देखने के बाद कोई भी व्यक्ति कह सकता है की, संघ और संघ द्वारा खड़े किये गए संगठनो का नियंत्रण ब्राह्मण जाति के हाथ में है. संघ ढोंगी हिन्दुवादी, पाखंडी राष्ट्रवादी और असली जातिवादी है.
जैसा परिक्षण तिन ब्राह्मण सरसंघचालको के जीवनवृतो में से हो सकता है वैसा ही परिक्षण १९९८-२००४ के दौरान केन्द्रसरकार के प्रधानमन्त्री रहे संघके कट्टर जातिवादी ब्राह्मण प्रचारक अटलबिहारी वाजपेयी के व्यवहार से भी स्पष्ट हो सकता है.
वाजपेयी शासनमे ब्राह्मणों को क्या मिला और गैरब्राह्मणों को क्या मिला ? गैर-ब्राह्मणोंमें शुद्र-अतिशुद्र(७५%) को क्या मिला ? केबिनेट और नियुक्ति में कितनी सामाजिक हिस्सेदारी मिली ?
वाजपेयी शासनमे ब्राह्मणोंका प्रतिनिधित्व १९९९-२००४
क्रम पद कुल ब्राह्मण हिस्सेदारी
१. केन्द्रीय केबिनेटमंत्री १९ १० ५३%
२. राज्य तथा उपमंत्री ४९ ३४ ७०%
३ सचीव-उपसचिव-सयुंक्त-सचिव ५०० ३४० ६२%
४. राज्यपाल-उपराज्यपाल २७ १३ ४८%
५. पब्लिक सेक्टर के चीफ १५८ ९१ ५८%
ये सभी ऐसे पद है जिसकी नियुक्ति केन्द्र सरकारके प्रधानमन्त्री के रूपमे वाजपेयी निर्णित करते थे. ५% ब्राह्मण-भूमिहार की स्थिति क्या है और ९५% गैरब्राह्मण की क्या स्थिति होगी ? ७५% शुद्र-अतिशुद्रो को कितना प्रतिनिधित्व मिला होगा ?
दोस्तों, अब हमें अपने तर्क और विवेक से सोचना चाहिए की,जिस कथित राष्ट्रवादी संगठन में 3% आबादीवाले ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व 70% से भी ज्यादा हो, और 97% आबादीवाले बिनब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व सिर्फ 30% ही हो, ऐसे संगठन को राष्ट्रवादी या हिंदूवादी संगठन कहा जा सकता है..? या फिर ब्राह्मणवादी अर्थात जातिवादी संगठन कहा जा सकता है..?
अब तक के संघ के सर संघचालककी सूचि को देखे, १. डॉ.हेडगेवार ब्राह्मण, २.गोलवलकर ब्राह्मण, ३,देवरस ब्राह्मण ४.राजुभैया क्षत्रिय, ५.सुदर्शन ब्राह्मण और ६.वर्तमान सर संघचालक मोहन भागवत भी ब्राह्मण है. क्या संघ जातिवादी नहीं है ?
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